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Paul Brunton QUOTES

167 " उसे अचानक इस तरह अपने सामने देखकर मैं हैरान हूँ। वह साँप भी मुझे अजीब ढंग से देख रहा है। उसने अपना फन उठा रखा है और उसकी ख़तरनाक आँखें मुझे लगातार घूर रही हैं। आख़िरकार मैं स्वयं को संभालकर पीछे हट जाता हूँ। मैं एक मोटी छड़ से उसे मारने की सोच रहा हूँ कि तभी मुझे वह नवागंतुक व्यक्ति अपनी ओर आता दिखाई पड़ता है। मैं उसे अचानक शांत हो जाता हूँ। वह पास आकर मेरी परिस्थिति को भाँपता है और फिर मेरे कमरे के भीतर चला जाता है। मैं उसे चिल्लाकर चेतावनी देता हूँ लेकिन वह मेरी बात पर ध्यान नहीं देता। मैं बहुत परेशान हूँ क्योंकि उसके पास कोई हथियार नहीं है और उसने अपने दोनों हाथ साँप की ओर उठा दिए हैं। साँप बार-बार अपनी जीभ बाहर निकाल रहा है लेकिन वह उस व्यक्ति पर हमला नहीं करता है। उसी समय मेरे चिल्लाने से कुछ और लोग घरों से बाहर निकल आते हैं। उनके वहाँ पहुँचने से पहले, आगंतुक साँप के बहुत नज़दीक चला गया है। उसे देखकर साँप सिर झुका लेता है और अपनी पूँछ हिलाने लगता है! वह अपने विषैले दाँत अंदर कर लेता लेता है और अन्य लोगों के पहुँचने से पहले ही वह हमारी आँखों के सामने से कुटिया से बाहर निकलकर जंगल में चला जाता है। "

Paul Brunton , A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru

169 " थियोसोफ़िकल सोसाइटी की संस्थापक रूस की एक महिला हेलेना पेत्रेव्ना ब्लावात्स्की ने, लगभग 50 वर्ष पूर्व कुछ ऐसे ही कारनामे दिखाए थे। उसकी सोसाइटी के चुनिंदा सदस्यों ने उनकी एजेंसी के माध्यम से कुछ लंबे संदेश प्राप्त किए थे। उन्होंने काग़ज़ पर दर्शन संबंधी कुछ प्रश्न लिखे थे और उन्हीं काग़ज़ों पर उनके उत्तर उभर आए थे। यह बड़ी विचित्र बात है कि मैडम ब्लावात्स्की, तातार और तिब्बत दोनों से नज़दीकी से परिचित थीं और इन दोनों जगहों पर मार्को पोलो के साथ समान घटनाएँ घटीं। इसके बावजूद मैडम ब्लावात्स्की ने, महमूद बेग की तरह, यह दावा नहीं किया कि उन्होंने रहस्यमय आत्माओं को नियंत्रण में किया हुआ है। "

Paul Brunton , A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru

175 " आप ज्योतिष विज्ञान को तब तक सही ढंग से नहीं समझ सकते जब तक आप इस सिद्धांत को स्वीकार न करें कि व्यक्ति का बार-बार जन्म होता है और उसकी नियति प्रत्येक जन्म में उसका पीछा करती है। यदि वह अपने दुष्कर्मों के परिणाम से किसी जन्म में बच निकलता है तो वह उसे अगले जन्म में अवश्य दंडित करते हैं और यदि उसे किसी जन्म में अपने अच्छे कर्मों का फल नहीं मिल पाता तो उसे वह फल अगले जन्म में अवश्य मिलता है। मनुष्य की आत्मा का पूर्ण परिष्कार हो जाने तक कर्म का यह सिद्धांत नियमित रूप से चलता रहता है। लोगों के भाग्य में होने वाले परिवर्तन हमें संयोग मात्र प्रतीत होते हैं। इंसाफ़-पसंद ईश्वर ऐसा कैसे होने दे सकता है? नहीं! हमें विश्वास है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसका स्वभाव, उसकी इच्छाएँ, उसके विचार फिर से एक नवजात शिशु के रूप में नए शरीर में प्रवेश करते हैं। हमें अपने पिछले जन्म में किए अच्छे और बुरे कर्मों का फल अपने वर्तमान अथवा आने वाले जन्मों में अवश्य मिलता है। भाग्य को समझने का यही तरीक़ा है। "

Paul Brunton , A Search In Secret India: The classic work on seeking a guru