Home > Work > Sri Ramana Maharshi (In Hindi): The Supreme Guru
1 " ईश्वर कोई वस्तु नहीं है जिसे देखा जा सकता हो। ईश्वर तो कर्ता है। वह तो द्रष्टा है। उस सब से सरोकार रखना छोड़ दो जिन्हें देखा जा सकता है। उसे जानो जो द्रष्टा है।’ फिर उन्होंने आगे कहा, ‘तुम ही ईश्वर हो’, वे जैसे मुझे झिड़कते हुए रहे थे कि मैं किसी ऐसे ईश्वर को खोज रहा हूं जो मुझसे बाहर और अलग है। "
― Alan Jacobs , Sri Ramana Maharshi (In Hindi): The Supreme Guru
2 " सारे विचार इस मन से ही उपजते हैं। विचार से अलग मन जैसी कोई चीज़ होती ही नहीं। अतः विचार ही मन का स्वभाव है। विचारों से अलग जगत जैसी किसी चीज़ का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है। गहन निद्रा में कोई विचार नहीं रहता, और इसलिए वहां कोई जगत भी नहीं रहता। "
3 " जब “मैं” का भाव पैदा हो रहा हो तब यदि कोई ध्यानपूर्वक यह देखे कि वह भाव पैदा कहां से हो रहा है, तब मन उसी को देखने में तल्लीन हो जाता है। यह तप है। जब किसी मंत्र का जाप किया जाए और तब यदि पूरा ध्यान उस स्रोत की तरफ़ हो जाए जहां से कि मंत्र की ध्वनि उठ कर आ रही है, तब मन उसे ही सुनने में तल्लीन हो जाता है। यह तप है। "