" दोगली मानसिकता की यह प्रवृत्ति होती है कि वह किसी पद्धति की होती नहीं और खुद भी कोई पद्धति नहीं बना सकती। दूसरी विशेषता यह होती है कि वह केवल बने-बनाये पिंडों को जोड़ सकती है, उनमें से किसी को बदल नहीं सकती। तीसरी विशेषता यह है कि वह आत्मसमीक्षा नहीं कर सकती। आत्मसमीक्षा करेगी, तो बने-बनाए पिंडों से संघर्ष करना पड़ेगा। इसलिए बाहर की तारीफ से गदगद हो जाती है और आलोचना को अनसुना कर देती है। इसकी चौथी विशेषता यह है कि वह मौलिकता से डरती है। एक दोगले व्यक्तित्व का उदाहरण होगा - 'श्री आरक्षण-विरोधी जनेऊधारी कम्प्यूटर विशेषज्ञ'! "
― Kishen Pattanayak
Image for Quotes