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1 " A good wife is one who serves her husband in the morning like a mother does, loves him in the day like a sister does and pleases him like a prostitute in the night. "
― Chanakya ,
2 " A man is born alone and dies alone, and he experiences the good and bad consequences of his karma alone, and he goes alone to hell or the Supreme abode. "
3 " Books are as useful to a stupid person as a mirror is useful to a blind person. "
4 " Do not reveal what you have thought upon doing, but by wise council keep it secret being determined to carry it into execution. "
5 " Either Scholarship or Death will be my refuge.पाण्डित्यं शरणं वा मे मृत्युर्वा॥ "
6 " If one has a good disposition, what other virtue is needed? If a man has fame, what is the value of other ornamentation? "
7 " There is poison in the fang of the serpent, in the mouth of the fly and in the sting of a scorpion; but the wicked man is saturated with it. "
8 " God is not present in idols. Your feelings are your god. The soul is your temple. "
9 " He who lives in our mind is near though he may actually be far away; but he who is not in our heart is far though he may really be nearby. "
10 " The serpent, the king, the tiger, the stinging wasp, the small child, the dog owned by other people, and the fool: these seven ought not to be awakened from sleep. "
11 " જે વ્યક્તિ લેણદેણમાં, વિઘા કે હુન્નર શીખવામાં, ભોજન સમયે અને વ્યવહારમાં શરમ-સંકોચ છોડી સ્પષ્ટ વાત કરે છે તે સુખી થાય છે. "
12 " बुद्धिमान व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि वह अपने शत्रु पक्ष को सदा किसी-न-किसी कष्ट में उलझाए रखे। इससे वे कभी भी उसके लिए मुसीबत या संकट उत्पन्न नहीं कर पाएँगे। "
13 " शंख (शंखचूड़) और लक्ष्मी-दोनों ही रत्नाकर सागर की संतान माने जाते हैं। लेकिन इसमें से एक धन-वैभव से युक्त होकर संसार में पूजनीय है तो दूसरा साधु-संतों के साथ-साथ भिक्षाटन के लिए भटकता रहता है। "
14 " जब तक वसंत ऋतु का आगमन नहीं होता, तब तक कोयल मौन रहती है किंतु वसंत के आगमन के साथ ही वह अपनी मधुर वाणी से दसों दिशाओं को गुंजायमान करने लगती है। इस कथन द्वारा चाणक्य ने विद्वानों को अत्यंत गूढ़ परामर्श दिया है। वे कहते हैं कि उचित समय पर ही बुद्धिमान व्यक्ति को उसके अनुकूल कार्य करने चाहिए। "
15 " अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गाय, कन्या, वृद्ध तथा बच्चा-चाणक्य ने इन्हें आदर और सम्मान का भागी कहा है। इस संदर्भ में वे कहते हैं कि उपर्युक्त सभी प्राणी आदरणीय लोगों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए मनुष्य को कभी भी इन्हें पैरों से स्पर्श नहीं करना चाहिए। ऐसा करनेवाला बुद्धिहीन मनुष्य अपार दुःख भोगता है। "
16 " चाणक्य के मतानुसार, दुष्ट और दुर्जन व्यक्तियों को धन की महत्त्वाकांक्षा होती है। उसे प्राप्त करने के लिए वे नीच कार्य करने से भी पीछे नहीं हटते। धन-प्राप्ति ही उनका एकमात्र ध्येय होता है। यद्यपि मध्यम वर्ग के व्यक्ति भी धन को महत्त्व देते हैं, तथापि उनके लिए मान-सम्मान भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। इसी कारण धन की लालसा होते हुए भी वे नीच कार्य करने से डरते हैं। इसके विपरीत, सज्जन व्यक्तियों के लिए मान-सम्मान सबसे बढ़कर होता है। इसके लिए वे बड़ी-से-बड़ी बहुमूल्य वस्तु भी अस्वीकार कर देते हैं। "
17 " Daryaganj, "
18 " यदि हीरे को पैरों से लटकाकर काँच को सिर पर सजा लिया जाए तो भी हीरे का मूल्य कम नहीं होता। अर्थात् विद्वान् को निम्न स्थान देकर मूर्ख को उच्च स्थान पर बैठाने के बाद भी विद्वान् का महत्त्व कम नहीं होता। "
19 " કામવાસના સમાન કોઈ રોગ નથી. મોહથી મોટો કોઈ શત્રુ નથી. ક્રોધ જેવી કોઈ આગ નથી અને જ્ઞાન જેવું બીજું કોઈ સુખ નથી. "
20 " मनुष्य का आदर-सम्मान न हो, आजीविका के साधन न हों, अनुकूल मित्र एवं संबंधी न हों, विद्यार्जन के उपयुक्त "