" अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गाय, कन्या, वृद्ध तथा बच्चा-चाणक्य ने इन्हें आदर और सम्मान का भागी कहा है। इस संदर्भ में वे कहते हैं कि उपर्युक्त सभी प्राणी आदरणीय लोगों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए मनुष्य को कभी भी इन्हें पैरों से स्पर्श नहीं करना चाहिए। ऐसा करनेवाला बुद्धिहीन मनुष्य अपार दुःख भोगता है। "