Home > Work > लियो टॉलस्टॉय की लोकप्रिय कहानियां
21 " जीसस ने हमें जो कुछ सिखाया वह गलत है? वह हमारे भले के लिए था। अपने भौतिक जीवन के बारे में सोचो, क्या यह काम अच्छा था या बुरा? "
― Leo Tolstoy , लियो टॉलस्टॉय की लोकप्रिय कहानियां
22 " सूरज के डूबने से पहले इस धनी व्यक्ति की आत्मा इसका साथ छोड़ देगी। मैंने सोचा, यह व्यक्ति एक साल की तैयारी कर रहा है और इसे यह नहीं पता कि वह शाम तक भी जीवित नहीं रहेगा। मुझे ईश्वर का दूसरा वाक्य याद आ गया— ‘तुम जान जाओगे कि मानवों को क्या नहीं दिया गया है। "
23 " मुझे ईश्वर का प्रथम वाक्य याद आ गया—‘तुम समझ जाओगे कि मानवों में क्या है।’ और मैं जान गया कि मानवों में प्यार रहता है। "
24 " अपने काम पर ध्यान दो, अपने लड़कों के साथ खेतों में और घर पर काम करो और यदि कोई तुम्हारा अपमान करे, तब उसे ईश्वर के नाम पर क्षमा कर दो। इससे तुम बहुत ही अच्छी स्थिति में रहोगे और तुम्हारा मन भी अच्छा रहेगा। "
25 " औरत उसके कान में फुसफुसाकर बोली, ‘‘वह एक राजकुमारी है।’’ ‘‘मेरे पिता से मिल लो, वह तुम्हारा शुक्रिया अदा करेंगे।’’ अचानक इमेलिन के दिल में एक खास तरह की ताकत पैदा हुई, जिसके बल पर वह 2 लाख रूबल के लॉटरी के इनाम से भी अपनी भावनाओं को नहीं बदलता। वह बोला, ‘‘बेकार की बात है, घर जाओ मिस! मेरा शुक्रिया किसलिए? "
26 " पाखोम को उसका सपना याद आ रहा था। उसने सोचा, ‘शायद ईश्वर की इच्छा नहीं थी कि मैं इस अधिक जमीन पर जीवित रह सकूँ। आह, मैंने खुद को बरबाद कर डाला। मैं इस जमीन को नहीं पा सकूँगा। "
27 " नौकर उसकी सहायता करने के लिए उसकी तरफ भागा, मगर पाखोम के मुँह से खून की धारा बह रही थी और उसके प्राण-पखेरू उड़ चुके थे। उसे मरा देखकर बाशखीरों ने अपनी जीभें बाहर निकालकर अफसोस प्रकट किया। पाखोम के आदमी ने फावड़ा लिया और उसके लिए सिर से पाँव तक की लंबाई की 7 फीट लंबी कब्र खोदी तथा पाखोम को उसमें दफना दिया। "
28 " यदि तुम ईश्वर के साथ रहोगे, तब तुम सही रास्ते पर चल सकोगे। "
29 " बूढ़े ने कहा, ‘‘ईवान, मेरी मौत आ चुकी है। तुम्हें भी एक दिन मरना है। यह अपराध किसका है?’’ ईवान ने अपने पिता की तरफ देखा और कुछ भी नहीं बोला। उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। ‘‘ईश्वर को साक्षी मानकर मुझे बताओ, यह अपराध किसने किया था?मैंने तुमसे क्या कहा था?’’ अब ईवान को सबकुछ समझ में आ गया था। उसने अपनी नाक सुड़की और कहा, ‘‘मैंने पिताजी, मैंने... "
30 " हम आगे का जीवन किस तरह से जिएँगे?’’ उस बुजुर्ग ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने होंठ इस तरह से गोल बनाए कि जैसे वह ताकत बटोर रहा हो। फिर उसने अपनी आँखें खोलीं और कहा, ‘‘यदि तुम ईश्वर के साथ रहोगे, तब तुम सही रास्ते पर चल सकोगे। "