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Atal Bihari Vajpayee QUOTES

10 " हरी-हरी दूब पर ओस की बूँदें अभी थीं, अब नहीं हैं। ऐसी खुशियाँ जो हमेशा हमारा साथ दें कभी नहीं थीं, कभी नहीं हैं। क्वार की कोख से फूटा बाल सूर्य, जब पूरब की गोद में पाँव फैलाने लगा, तो मेरी बगीची का पत्ता-पत्ता जगमगाने लगा, मैं उगते सूर्य को नमस्कार करूँ या उसके ताप से भाप बनी, ओस की बूँदों को ढूँढ़ूँ? सूर्य एक सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता मगर ओस भी तो एक सच्चाई है यह बात अलग है कि ओस क्षणिक है क्यों न मैं क्षण-क्षण को जीऊँ? कण-कण में बिखरे सौंदर्य को पीऊँ? सूर्य तो फिर भी उगेगा, धूप तो फिर भी खिलेगी, लेकिन मेरी बगीची की हरी-हरी दूब पर, ओस की बूँद हर मौसम में नहीं मिलेगी। "

Atal Bihari Vajpayee , चुनी हुई कविताएँ