Home > Author > Atal Bihari Vajpayee >

" बिखरा शीशे-सा शहर, अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ। पीठ में छुरी-सा चाँद, राहु गया रेखा फाँद, मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ। "

Atal Bihari Vajpayee , Kyā khoyā kyā pāyā: Aṭala Bihārī Vājapeyī, vyaktitva aura kavitāeṃ


Image for Quotes

Atal Bihari Vajpayee quote : बिखरा शीशे-सा शहर, अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ। पीठ में छुरी-सा चाँद, राहु गया रेखा फाँद, मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ।