Home > Author > सुरेन्द्र मोहन पाठक
1 " कुत्ते और आदमी में बुनियादी फर्क ये है कि तुम किसी भूखे कुत्ते के लिये दयाभाव दिखाओ और उसे रोटी खिला कर मरने से बचाओ तो वो तुम्हें कभी नहीं काटता। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , पूरे चाँद की रात
2 " धोखा देना और धोखा खाना इंसानी फितरत है, जो इस लानत से आजाद है वो जरूर जंगल में रहता है। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , धोखा
3 " कोटि प्रयास करे किन कोयकि सत्य का दीप बुझे न बुझाये "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , वहशी
4 " भाई जान से जायेगा, तू भाई से जायेगा | "- Gawaahi "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , गवाही
5 " तलवार का घाव भर सकता है लेकिन जुबान की खराश जिन्दगी का नासूर बन जाती है. "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , गोल्डन गर्ल
6 " आनंद को ख़ुशी से कंफ्यूज नहीं किया जाना चाहिए| ख़ुशी आनंद से एकदम जुड़ा अहसास है| ख़ुशी में आनंद का सामावेश हमेशा होता है, लेकीन ऐसा आनंद आम पाया जाता है जिसमे कोई ख़ुशी नहीं होती "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , खतरे की घंटी
7 " सच का गला झूठ उतना नहीं घोंटता जितना कि खामोशी घोंटती है। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , डबल गेम
8 " कोई काम नामुमकिन नहीं होता। मुश्किल होता है, ज्यादा मुश्किल होता है लेकिन नामुमकिन नहीं होता। "
9 " जीवित रहना एक महान कर्तव्य है| जीवन जैसा भी हो उसे सहन करना चाहिए "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक
10 " क्रोध में वो आंधी होती है जो विवेक का दीपक बुझा देती है "
11 " गुनाह को आंखों के सामने होता देख कर खामोश रहना गुनहगार की मदद करना है। "
12 " सफलतायें दोस्त बनाती है, विफलतायें उन्हें आजमाती है। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , कोलाबा कांस्पीरेसी
13 " आस्था प्रमाणों पर आधारित विश्वास नहीं, बल्कि अबाध समर्पण का नाम ही आस्था है! "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , बीवी का हत्यारा
14 " हर सज्जन पुरूष ईश्वर का एजेंट होता है जिसे वो अपनी पावर्स डैलीगेट करता है, सद्कार्य के लिये निमित्त बनाता है ताकि वो - परमपिता परमात्मा - जो चाहता है, वो हो सके। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , चेम्बूर का दाता
15 " कोई दुश्वारी आन खड़ी होती है तो समझ आसमानी बाप इम्तहान लेता है. कोई प्रॉब्लम फॉरएवर नहीं होता. "
16 " पुस्तक प्रेमी बनिये, पुस्तकों को अपनाइये,पढने की आदत डालिये ताकि आपके पढ़ा-लिखा होने की सार्थकता स्थापित हो|याद रखिए पुस्तक से सच्चा साथी कोई नहीं|पुस्तकों का संसार असीम है| पुस्तकें ज्ञान का वह समुद्र है जिसकी एक बूंद भी आपके हिस्से में आई तो समझिये आपने बहुत कुछ पाया है| ज्यादा की तो बात ही क्या है "
17 " बनाने वाले ने मेरी तकदीर ही ऐसी उकेरी है कि हमेशा मुझे खुद अपने आप से सवाल करना पड़ता है कि इस शहर में मुझसे बुरा भी क्या कोई होगा! कौन होगा कोई जिस के प्रारब्ध के पन्ने पर काली स्याही फिरी होगी! साहेब, "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , मुझसे बुरा कोई नहीं
18 " मस्जिद में दिया जलाने से पहले घर में दिया जलाने की फिक्र करनी चाहिये। "
19 " जिंदगी को एक सिग्रेट की तरह एंजाय करो, वरना सुलग तो रही ही है, एक दिन वैसे ही खत्म हो जानी है। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , चोरों की बारात
20 " गलती किसी से भी हो सकती है। गलती करना नादानी है। गलती करके उसको सुधारने की कोशिश ना करना ज्यादा बड़ी नादानी है। "
― सुरेन्द्र मोहन पाठक , सीक्रेट एजेंट