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" बनाने वाले ने मेरी तकदीर ही ऐसी उकेरी है कि हमेशा मुझे खुद अपने आप से सवाल करना पड़ता है कि इस शहर में मुझसे बुरा भी क्या कोई होगा! कौन होगा कोई जिस के प्रारब्ध के पन्ने पर काली स्याही फिरी होगी! साहेब, "

सुरेन्द्र मोहन पाठक , मुझसे बुरा कोई नहीं


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सुरेन्द्र मोहन पाठक quote : बनाने वाले ने मेरी तकदीर ही ऐसी उकेरी है कि हमेशा मुझे खुद अपने आप से सवाल करना पड़ता है कि इस शहर में मुझसे बुरा भी क्या कोई होगा! कौन होगा कोई जिस के प्रारब्ध के पन्ने पर काली स्याही फिरी होगी! साहेब,