Home > Work > Jivan sathi (kuch panne meri zindagi ke Book 1)
1 " खुली आँखों से हमनें कुछ ख्वाब देखे।कभी तो अपने यार को बेहिज़ाब देखे।राह देख धुंधला गयी 'जीत' की निगाहें,कभी आप की ओर से इजहार-ए-जनाब देखे। "
― , Jivan sathi (kuch panne meri zindagi ke Book 1)