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" खुली आँखों से हमनें कुछ ख्वाब देखे।
कभी तो अपने यार को बेहिज़ाब देखे।
राह देख धुंधला गयी 'जीत' की निगाहें,
कभी आप की ओर से इजहार-ए-जनाब देखे। "

, Jivan sathi (kuch panne meri zindagi ke Book 1)


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 quote : खुली आँखों से हमनें कुछ ख्वाब देखे।<br />कभी तो अपने यार को बेहिज़ाब देखे।<br />राह देख धुंधला गयी 'जीत' की निगाहें,<br />कभी आप की ओर से इजहार-ए-जनाब देखे।