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1 " वह निर्भीक था, स्पष्टवादी था, साहसी था, स्वदेश-प्रेमी था, निःस्वार्थ था, कर्तव्यपरायण था। जेल जाने के लिए इन्हीं गुणों की जरूरत है। "
― Munshi Premchand , 21 अनमोल कहानियां
2 " स्वराज्य चित्त की वृत्तिमात्रा है। ज्योंही पराधीनता का आतंक दिल से निकल गया, आपको स्वराज्य मिल गया। भय ही पराध्ीनता है निर्भयता ही स्वराज्य है। व्यवस्था और संगठन तो गौण है। "