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" स्वराज्य चित्त की वृत्तिमात्रा है। ज्योंही पराधीनता का आतंक दिल से निकल गया, आपको स्वराज्य मिल गया। भय ही पराध्ीनता है निर्भयता ही स्वराज्य है। व्यवस्था और संगठन तो गौण है। "

Munshi Premchand , 21 अनमोल कहानियां


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Munshi Premchand quote : स्वराज्य चित्त की वृत्तिमात्रा है। ज्योंही पराधीनता का आतंक दिल से निकल गया, आपको स्वराज्य मिल गया। भय ही पराध्ीनता है निर्भयता ही स्वराज्य है। व्यवस्था और संगठन तो गौण है।