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" पीली-पीली धूप, तीसी और सरसों के फूलों पर पड़ रही थी। वसन्त की व्यापक कला से प्रकृति सजीव हो उठी थी। "

जयशंकर प्रसाद , तितली


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जयशंकर प्रसाद quote : पीली-पीली धूप, तीसी और सरसों के फूलों पर पड़ रही थी। वसन्त की व्यापक कला से प्रकृति सजीव हो उठी थी।