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" वे कहानियाँ प्रेम से अतिरंजित थीं, स्नेह से परिलुप्त थीं, आदर से आर्द्र थीं, सबको मिलाकर उनमें एक आत्मीयता थी—हृदय की वेदना थी, आँखों का आँसू था! "

जयशंकर प्रसाद , कंकाल


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जयशंकर प्रसाद quote : वे कहानियाँ प्रेम से अतिरंजित थीं, स्नेह से परिलुप्त थीं, आदर से आर्द्र थीं, सबको मिलाकर उनमें एक आत्मीयता थी—हृदय की वेदना थी, आँखों का आँसू था!