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" जब समाज का कोई हिस्सा अपने आप (किसी राजनीतिक दल के प्रयास के बिना और कम चेष्टा में) विद्रोह करता है, ऐसा आंदोलन प्रबल रूप धारण करता है, तो उससे ये उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह अपने आप क्रांतिकारी दिशा पकड़ लेगा| ऐसे विद्रोह का नेतृत्व स्वाभाविक ढंग से उस वर्ग के संपन्न लोगों के हाथ में होगा जो अक्सर यथास्थिति में ही अपना कल्याण ढूंढते हैं| उनकी पहली इच्छा होती है कि प्रचलित ढाँचे में ही उनको कुछ मिल जाए "

Kishen Pattanayak , किसान आंदोलन : दशा और दिशा (Peasant Movement: Status and Directions)


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Kishen Pattanayak quote : जब समाज का कोई हिस्सा अपने आप (किसी राजनीतिक दल के प्रयास के बिना और कम चेष्टा में) विद्रोह करता है, ऐसा आंदोलन प्रबल रूप धारण करता है, तो उससे ये उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह अपने आप क्रांतिकारी दिशा पकड़ लेगा| ऐसे विद्रोह का नेतृत्व स्वाभाविक ढंग से उस वर्ग के संपन्न लोगों के हाथ में होगा जो अक्सर यथास्थिति में ही अपना कल्याण ढूंढते हैं| उनकी पहली इच्छा होती है कि प्रचलित ढाँचे में ही उनको कुछ मिल जाए