Home > Author > Amrita Pritam
1 " वह धरती नरक होती है जहाँ महुआ नहीं उगता.कहानी "उधड़ी हुई कहानियाँ" से "
― Amrita Pritam , मेरी प्रिय कहानियाँ [Meri Priya Kahaniyaan]
2 " When a man denies the power of women, he is denying his own subconscious. "
― Amrita Pritam
3 " Warish Shah I call out to you, Rise from your grave, speak out and turn, Another page of the Book of Love "
4 " मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थीसिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……फिर समुन्द्र को खुदा जानेक्या ख्याल आयाउसने तूफान की एक पोटली सी बांधीमेरे हाथों में थमाईऔर हंस कर कुछ दूर हो गयाहैरान थी….पर उसका चमत्कार ले लियापता था कि इस प्रकार की घटनाकभी सदियों में होती है…..लाखों ख्याल आयेमाथे में झिलमिलायेपर खड़ी रह गयी कि उसको उठा करअब अपने शहर में कैसे जाऊंगी?मेरे शहर की हर गली संकरीमेरे शहर की हर छत नीचीमेरे शहर की हर दीवार चुगलीसोचा कि अगर तू कहीं मिलेतो समुन्द्र की तरहइसे छाती पर रख करहम दो किनारों की तरह हंस सकते थेऔर नीची छतोंऔर संकरी गलियोंके शहर में बस सकते थे….पर सारी दोपहर तुझे ढूंढते बीतीऔर अपनी आग का मैंनेआप ही घूंट पियामैं अकेला किनाराकिनारे को गिरा दियाऔर जब दिन ढलने को थासमुन्द्र का तूफानसमुन्द्र को लौटा दिया….अब रात घिरने लगी तो तूं मिला हैतूं भी उदास, चुप, शान्त और अडोलमैं भी उदास, चुप, शान्त और अडोलसिर्फ- दूर बहते समुन्द्र में तूफान है….. "
5 " काहनी लिखनेवाला बङा नहीं होता, बङा वह है जिसने काहनी अपने जिसम पर झेली है। "
6 " तेरहवाँ-चौदहवाँ वर्ष, पता नहीं, कैसा होता है! यह शायद एक देहलीज़ होती है बचपन और जवानी के बीच "
7 " कहीं भूलना अपने बस में होता! "
8 " होंठों पर जिन्दगी की प्यास है "
9 " When the body perishesall perishesbut the threads of memoryare woven of enduring atomsI will pick these particlesweave the threadsand I will meet you yet again. "
― Amrita Pritam , ਮੈਂ ਤੇਨੁ ਫੇਰ ਮਿਲੰਗੀ
10 " एक बार अगर कोई मुहब्बत के कुएँ में गिर पड़े तो फिर वह किसी से नहीं निकाला जाता। "
11 " इस वर्ष लड़कियों का एक पाँव देहलीज़ के इधर और एक पाँव देहलीज़ के उधर होता है। "
12 " हँस-बोल लेने की प्रीत अब बन्ती के कण्ठ में से होकर उसके दिल में उतरने लग गई थी। "
13 " हँस-बोल लेने का प्यार मेरी हड्डियों में समा गया है। लहू में रच गया है। "
14 " किसी की हँसी में एक विश्वास घुला हुआ हो, उस समय उसकी आँखों में जो चमक उतर आती है, "
15 " गुलियाना के चेहरे की ओर देखती हुई मैं सोचने लगी कि इस धरती पर वे घर कब कब बनेंगे जिनके दरवाज़े तारों की चाबियों से खुलते हों.कहानी 'गुलियाना का एक ख़त' से "
16 " लगता था वह अभी रो पड़ेगी, पर वह रोई नहीं। या ऐसा रोना रोई जो किसी को दिखाई नहीं दिया! देखा, हम स्त्रियाँ कैसा रोना रो सकती हैं! "
17 " उस प्यार के नहीं जो एक फूल की तरह गमले में रोपा जाता है। मैं उस प्यार के गीत लिखूंगी, जो गमले में नहीं उगता, जो सिर्फ धरती में उग सकता है। "
18 " पर चूल्हा बनाते समय वह ऐसे गाती है, जैसे कोई चरखा काते और लम्बा गीत शुरू कर दे! "
19 " हीरे जैसी लड़की को तराजू में रखकर चाँदी के रुपयों की एवज कॅकड़ के पल्ले बाँध दिया! "
20 " प्यार होता, तो ज़िन्दगी से लम्बा होता। "