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1 " विवाह का दृश्य बड़ा दारुण होता है। विदा के वक्त औरतों के साथ मिलकर रोने को जी करता है। लड़की के बिछुड़ने के कारण नहीं, उसके बाप की हालत देखकर लगता है, इस कौम की आधी ताकत लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताकत छिपाने में जा रही है–शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में–बची हुई पाव ताकत से देश का निर्माण हो रहा है–तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आखिर एक चौथाई ताकत से कितना होगा? "
― Harishankar Parsai , अपनी अपनी बीमारी