Home > Work > विकलांग श्रद्धा का दौर
1 " मैं ईसा की तरह सूली पर से यह नहीं कहता - पिता, उन्हें क्षमा कर। वे नहीं जानते वे क्या कर रहे हैं। मैं कहता - पिता, इन्हें हरगिज क्षमा न करना। ये कम्बख्त जानते हैं कि ये क्या कर रहे हैं। "
― Harishankar Parsai , विकलांग श्रद्धा का दौर
2 " हीनता के रोग में किसी के अहित का इंजेक्शन बड़ा कारगर होता है। "
3 " भरत ने कहा - स्मगलिंग तो अनैतिक है। पर स्मगल किए हुए सामान से अपना या अपने भाई-भतीजे का फायदा होता है, तो यह काम नैतिक हो जाता है। जाओ हनुमान, ले जाओ दवा। मुंशी से कहा - रजिस्टर का पन्ना फाड़ दो। "
4 " बड़े कठोर आदमी है। शादी -ब्याह नहीं किया। न बाल - बच्चे। घूस भी नहीं चलेगी। "