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1 " दुश्मनों का दूर रहना ही अच्छा. "
― Munshi Premchand , पुत्रप्रेम
2 " वही आग जो मोटी लकड़ी को स्पर्श भी नहीं कर सकती, फूल को जला कर भस्म कर देती है. "
3 " मगर खतरा हमारी छिपी हुई हिम्मतों की कुंजी है. खतरे में पड़ कर हम भय की सीमाओं से आगे बढ़ जाते हैं और वह सब कुछ कर गुजरते हैं. जिस पर हमें खुद हैरत होती है. "
4 " आदमी बेईमानी तभी करता है, जब उसे अवसर मिलता है. बेईमानी का अवसर देना, चाहे वह अपने ढीलेपन से हो या सहज विश्वास से, बेईमानी में सहयोग देना है. "
5 " किसी के दीन की तौहीन करने से बड़ा और कोई गुनाह नहीं है. "