Home > Work > Karma Yoga: the Yoga of Action

Karma Yoga: the Yoga of Action QUOTES

24 " सर्वश्रेष्ठ पुरुष तो कार्य कर ही नहीं सकते, क्योंकि उनमें किसी प्रकार की आसक्ति नहीं होती । जो आत्मा में ही आनन्द करते है, जो आत्मा में ही तृप्त रहते हैं और जो आत्मा के साथ सदा के लिए एक हो गये हैं उनके लिए कोई कर्म शेष नहीं रह जाता । यही सर्वश्रेष्ठ मानव हैं । इनके अतिरिक्त अन्य सभी को कर्म करना पड़ेगा । पर इस प्रकार कर्म करते समय हमें यह कभी न सोचना चाहिए की हम इस संसार में भी किसी छोटे से छोटे प्राणी तक की तनिक भी सहायता कर सकते हैं । असल में वह हम बिलकुल नहीं कर सकते । संसाररूपी इस शिक्षालय में परोपकार के इन कार्यों द्वारा तो हम केवल अपनी ही सहायता करते हैं । कर्म करने का यही सच्चा दृष्टिकोण है । अतएव यदि हम इसी भाव से कर्म करें यदि सदा यही सोचें कि इस समय जो हम कार्य कर रहे हैं वह तो हमारे लिए एक बड़े सौभाग्य की बात है तो फिर हम कभी भी किसी वस्तु में आसक्त न होंगे । इस विश्व में हम तुम जैसे लाखों लोग मन ही मन सोचा करते हैं कि हम एक महान व्यक्ति है; परन्तु एक दिन हमारी मौत हो जाती है और बस पाँच मिनट बाद ही संसार हमें भूल जाता है । किन्तु ईश्वर का जीवन अनन्त है । ‘ ‘यदि इस सर्वशक्तिमान प्रभु की इच्छा न हो, तो एक क्षण के लिए भी कौन जीवित रह सकता है, एक क्षण के लिए भी कौन साँस ले सकता है?” वे ही सतत कर्मशील विधाता हैं । समस्त शक्ति उन्हीं की है और उन्हीं की आज्ञावर्तिनी है । "

Vivekananda , Karma Yoga: the Yoga of Action