Home > Work > Khushwantnama: The Lessons of My Life
1 " हिकायते-हस्ती सुनी तो दरमियां से सुनी; न इब्तिदा की खबर है न इन्तहां मालूम "
― Khushwant Singh , Khushwantnama: The Lessons of My Life
2 " ज़िंदगी तेज़गाम भागी जा रही है मुझे पता नहीं यह कहां रुकेगी लगाम मेरे हाथ में नहीं है रकाब में पैर नहीं हैं । "
3 " लड़की : यह रही तुम्हारी अंगूठी । मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती क्योंकि मैं किसी और से प्यार करती हूं । लड़का : वह है कौन ? लड़की : (घबड़ाकर) तुम कहीं उसे मारने की कोशिश तो नहीं करोगे । लड़का : नहीं, बल्कि मैं उसे अंगूठी बेचने की कोशिश करूंगा । "
4 " रात यूं दिल में तेरी खोई हुई याद आई जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए जैसे सहराओं में हौले से चले बादे-नसीम जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाए । "