Home > Work > Sita: Warrior of Mithila (Ram Chandra #2)

Sita: Warrior of Mithila (Ram Chandra #2) QUOTES

52 " अतीत में, योद्धाओं में कुछ शैतान होने की वजह से, भारत साम्राज्य के वासियों ने समग्र क्षत्रिय जीवनशैली पर प्रहार किया। वो तर्कहीन रूप से अहिंसक बन गए। ऐसे भी समाज हुए जिन्होंने ब्राह्मण जीवनशैली पर प्रहार किया और गर्व से गैर-बौद्धिक बन गए, क्योंकि उनके कुछ ब्राह्मण तंग दिमाग, उच्छिष्टवर्गवादी और एकांतवादी थे। और हमारे समय में सप्तसिंधु ने खुद व्यापार को तुच्छ दिखाया, क्योंकि उनके कुछ व्यापारी स्वार्थी, आडंबरपूर्ण और धन हड़पने वाले हो गए थे। हमने धीरे-धीरे व्यापार को अपने हाथों से जाने दिया और अपने समाज के ‘बुरे-पूंजीपतियों’ को सौंप दिया। कुबेर, और फिर रावण, ने धीरे-धीरे पैसा इकट्ठा किया, और स्वाभाविक रूप से आर्थिक शक्ति उनके पास चली गई। करछप का युद्ध तो बस औपचारिकता थी, उस लंबे ऐतिहासिक प्रचलन पर मुहर लगाने के लिए। एक समाज को हमेशा संतुलन का लक्ष्य रखना चाहिए। इसमें बौद्धिक, योद्धाओं, व्यापारियों, कलाकारों, और हस्त कारीगरों सभी की ज़रूरत होती है। अगर ये एक समूह को ज़्यादा सक्षम बनाए और दूसरे को कम, तो इससे कोलाहल ही बढ़ना होता है। "

Amish Tripathi , Sita: Warrior of Mithila (Ram Chandra #2)