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" सारी किताबें तुम्हारी आंखों की तरह खुलती हैं

कोर से कोर तक, कवर से कवर तक
किताब के भीतर बैठकर
मैं किताबें लिखता रहा

और तुम कहती रहीं,
मेरी आंखों के पन्ने रह-रहकर फड़फड़ाते हैं. "

Geet Chaturvedi , Khushiyon Ke Guptchar


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Geet Chaturvedi quote : सारी किताबें तुम्हारी आंखों की तरह खुलती हैं<br /><br />कोर से कोर तक, कवर से कवर तक <br />किताब के भीतर बैठकर <br />मैं किताबें लिखता रहा<br /><br />और तुम कहती रहीं,<br />मेरी आंखों के पन्ने रह-रहकर फड़फड़ाते हैं.