" आजकल जिसे देखिए वही आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, क्लाउड जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता है – आ ऐसा न डिब्बा बंद ज़िन्दगी जीया है सब कि क्या बताएँ। आपको भरोसा नहीं होगा लेकिन ऐसे-ऐसे लोग भी हैं जिन्हें लगता है कि गेहूँ-धान भी फ़ैक्ट्री में बनता है। कुछ दिन में इन्हें लगने लगे कि डाउनलोड होकर आता है तो भी आश्चर्य नहीं! अब ऐसे लोग क्या बनेंगे इंजीनियर और क्या बनाएँगे प्रोडक्ट! "
― Abhishek Ojha , लेबंटी चाह | Lebanti Chah