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" अनिल मन्थन व्यथित - सा डोलता था, न पक्षी भी पवन में बोलता था। प्रकृति निस्तब्ध थी, यह हो गया क्या? हमारी गाँठ से कुछ खो गया क्या? "

Ramdhari Singh 'Dinkar' , रश्मिरथी


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Ramdhari Singh 'Dinkar' quote : अनिल मन्थन व्यथित - सा डोलता था, न पक्षी भी पवन में बोलता था। प्रकृति निस्तब्ध थी, यह हो गया क्या? हमारी गाँठ से कुछ खो गया क्या?