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" प्राणी का प्राणी से जीवन—भर के सम्वन्ध में बँध जाना दासता समझती हूँ; उसमें आगे चलकर दोनों के मन में मालिक वनने की विद्रोह-भावना छिपी रहती है। विवाहित जीवनों में, अधिकार जमाने का प्रयत्न करते हुए स्त्री-पुरुष दोनों ही देखे जाते हैं। "

जयशंकर प्रसाद , तितली


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जयशंकर प्रसाद quote : प्राणी का प्राणी से जीवन—भर के सम्वन्ध में बँध जाना दासता समझती हूँ; उसमें आगे चलकर दोनों के मन में मालिक वनने की विद्रोह-भावना छिपी रहती है। विवाहित जीवनों में, अधिकार जमाने का प्रयत्न करते हुए स्त्री-पुरुष दोनों ही देखे जाते हैं।