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" इससे ज्यादा गर्म ड्रिंक्स के शौकीन हो” - वह शरारतभरे स्वर में बोली - “तो तुम्हें शेखावत साहब के आने तक इन्तजार करना पड़ेगा ।” “जी नहीं ।” - मैं बोला - “इस वक्त यही ठीक है । मुझे इतनी ज्यादा गर्म चीजों का शौक नहीं कि मुंह ही जल जाये और” - मैं एक क्षण ठिठका और बोला - “कलेजा भी ।” वह हंसी । मैंने कॉफी का कप उठाया और बड़े अर्थपूर्ण ढंग से उसे देखता हुआ बोला - "

सुरेन्द्र मोहन पाठक , मौत का फरमान


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सुरेन्द्र मोहन पाठक quote : इससे ज्यादा गर्म ड्रिंक्स के शौकीन हो” - वह शरारतभरे स्वर में बोली - “तो तुम्हें शेखावत साहब के आने तक इन्तजार करना पड़ेगा ।” “जी नहीं ।” - मैं बोला - “इस वक्त यही ठीक है । मुझे इतनी ज्यादा गर्म चीजों का शौक नहीं कि मुंह ही जल जाये और” - मैं एक क्षण ठिठका और बोला - “कलेजा भी ।” वह हंसी । मैंने कॉफी का कप उठाया और बड़े अर्थपूर्ण ढंग से उसे देखता हुआ बोला -