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" लाश के पहलू में दो बच्चे सो रहे थे—उसने महसूस किया, लाश के सीने में एक आह कुछ कहने को रुकी हुई है और पथराई हुई आँखें झोंपड़ी की ख़स्ता छत को चीरकर अँधेरे आसमान की तरफ़ टकटकी लगाये देख रही हैं, जैसे उसे कोई पैग़ाम देना हो। "

Saadat Hasan Manto , ठंडा गोश्त और अन्य कहानियाँ


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Saadat Hasan Manto quote : लाश के पहलू में दो बच्चे सो रहे थे—उसने महसूस किया, लाश के सीने में एक आह कुछ कहने को रुकी हुई है और पथराई हुई आँखें झोंपड़ी की ख़स्ता छत को चीरकर अँधेरे आसमान की तरफ़ टकटकी लगाये देख रही हैं, जैसे उसे कोई पैग़ाम देना हो।