" एक सुंदर सूर्यास्त का या यौनाचार का, और आप उसके बारे में सोचते हैं। उसके बारे में सोचना उस सुख को बढ़ा देता है, जैसे आपके द्वारा अनुभूत किसी पीड़ा के बारे में सोचना भय उत्पन्न कर देता है। अतएव विचार ही मनोसुख का और भय का जनक है, है न? "
― J. Krishnamurti , आपको अपने जीवन में क्या करना है ?