" मैं वापस आने के लिए मुड़ गया और अब मुझे बड़े-बड़े पेड़ोंवाले जंगल के बीच से होकर गुजरना था। वहाँ की बर्फ काफी मोटी थी और मेरे जूते उसमें धँसने लगे थे तथा पेड़ों की टहनियाँ मुझे फँसा ले रही थीं। जंगल घना से घना होता जा रहा था। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि मैं कहाँ आ गया था, क्योंकि बर्फ की वजह से मैं अपने पहचाने रास्ते से भटक गया था। अब मैं अपने घर वापस आकर उस शिकार पार्टी के पास कैसे पहुँच सकूँगा? मुझे कहीं से रास्ता नहीं सूझ रहा था। मैं बिलकुल थककर पसीने में नहा चुका था। यदि मैं रुकता, तब शायद ठंड से जमकर मर ही जाता और यदि मैं चलता हूँ, तब इसके लिए मेरी ताकत जवाब दे चुकी है। मैं जोर से चिल्लाया, पर मेरे चारों तरफ एक भयानक शांति थी और मेरी आवाज का कोई जवाब नहीं आया। मैं बिलकुल विपरीत दिशा की तरफ मुड़ा, जो कि फिर से गलत ही था और मैंने अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई। चारों तरफ सिर्फ जंगल-ही-जंगल नजर आ रहा था। मुझे पूर्व और पश्चिम कुछ भी पता नहीं चल रहा था। मैं फिर वापस मुड़ा, मगर मैं मुश्किल से कुछ ही कदम चल सका था। मैं बहुत डरा हुआ था और वहीं रुक गया। "
― Leo Tolstoy , लियो टॉलस्टॉय की लोकप्रिय कहानियां