" (मैं आपको बता दूँ कि मैं कानपुर का रहने वाला हूँ। गाली के नाम पर मैंने अधिक-से-अधिक किसी को ‘चूतिया’ ही कहा होगा क्योंकि कानपुर वह जगह हैं जहाँ ‘चूतिया’ को गाली नहीं मानते। वहाँ गालियाँ जबान का आभूषण होती हैं। पर्सनालिटी का वजन होती हैं और आपके दिल में सामने वाले के लिए मुहब्बत कितनी गहरी है, इस बात का सबसे वाजिब पैमाना होती हैं)। "