" है ऋणी कर्ण का रोम-रोम, जानते सत्य यह सूर्य-सोम, तन, मन, धन दुर्योधन का है, यह जीवन दुर्योधन का है। सुरपुर से भी मुख मोड़ूँगा, केशव! मैं उसे न छोड़ूँगा। “सच है, मेरी है आस उसे, मुझपर अटूट विश्वास उसे, हाँ, सच है मेरे ही बल पर, ठाना है उसने महासमर। "
― Ramdhari Singh 'Dinkar' , रश्मिरथी