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" गृहस्थ नारी की मंगलमयी कृति का भक्त हूँ। वह इस साधारण संन्यास से भी दुष्कर और दम्भ-विहीन उपासना "

जयशंकर प्रसाद , तितली


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जयशंकर प्रसाद quote : गृहस्थ नारी की मंगलमयी कृति का भक्त हूँ। वह इस साधारण संन्यास से भी दुष्कर और दम्भ-विहीन उपासना