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" कोई अनुष्ठान, कोई यज्ञ, कोई जप-तप प्रारब्ध को नहीं बदल सकता। फेट इज इनएवीटेबल। नियति अटल है। "

सुरेन्द्र मोहन पाठक , पूरे चाँद की रात


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सुरेन्द्र मोहन पाठक quote : कोई अनुष्ठान, कोई यज्ञ, कोई जप-तप प्रारब्ध को नहीं बदल सकता। फेट इज इनएवीटेबल। नियति अटल है।