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1 " मानसरोवर सा मन मेरा तुम हो धवल कमलिनी सी,छूटी लट छूने को अधरा मानो भँवरी पागल सी,मधुर निशा में दमक रही हो सूर्य प्रभा के मोती सी,नमन हो गया है मन मेरा हो तुम दिव्य रमा जैसी। "
― , Muktak Shatak
2 " ज्ञान साधना की सीपी में तुम मोती बन जाओगी,सूरज की तुम कनक रश्मियों से आभा पा जाओगी,जब भी होगा घोर अंधेरा सूरज भी छिप जाएगा,लेकर चंद्रमणि से रश्मि ज्ञान प्रभा बन जाओगी। "
3 " हमारी आन है हिन्दी हमारी शान है हिन्दी,माँ भारती के भाल का सम्मान है हिन्दी,समूचे राष्ट्र की भाषा बनेे ये आरजू मेरी,अटल, सुषमा, विवेकानंद का अभिमान है हिन्दी। "
4 " बहन भाई के माथे पर सुखद आशीष देती है,नेह के बंधनों से संकटों को टाल देती है,मान-मनुहार के रिश्तों में पावन प्रेम होता है,बनके माँ की प्रति छाया, वही वरदान देती है। "