Home > Author > Puja Upadhyay
1 " पहली बार व्हिस्की उठा कर होठों तक लायी थी तो वही वनगंध साँसों में भर गयी थी. जबां पर सिंगल माल्ट का पहला स्वाद पहली बार चूमने की तरह था, अतुलनीय. याद का दहकता जंगल मुझे अपने आगोश में भर रहा था, हौले हौले, शायद वो अपनी बाहें कस कर मुझे तोड़ डालता. यक़ीनन, मुझे अफ़सोस न होता. पैरों के पास कोई खुशबूदार बेल उग रही थी और महसूस हो रहा था कि हर छोटे सिप के साथ मैं दार्जलिंग का वही जंगल होती जा रही हूँ कि जिसके बादलों में भीगे तने पर कोई अजनबी अपने होठ रखने की हसरत लिए हर साल लौट आना चाहेगा. चाहने और लौट आने के बीच उलझा हुआ शामें सिंगल माल्ट में डुबो कर आग लगाता रहेगा. "
― Puja Upadhyay , Teen Roz Ishq
2 " ऐ सुनो न, महादुष्ट और चोट्टेकुमार, मुझे एक चिट्ठी लिखो न! हे आलसावतार, तुमसे कोढ़ी भी लजा जाए. हमरा एतना चिट्ठी पढ़े हो बैठ के जाड़ा में, चूल्हा में पकाया अल्लू खाते हुए. भुक्खड़ रे, ई सब से ऊपर उठ के एक ठो हमको चिट्ठी लिखो न. ऐसे कईसे चलेगा, खाली कोहरा पी के जिए आदमी, बतलाओ, ठंढा का दिन आया, हाथ गोड़ अकड़ रहा है. ए गो तुमरा चिट्ठी आता तो हम भी न बैठ के अलाव तापते हुए पढ़ते. बचवन सब को बतलाते ई हमार चोट्टा दोस्त है. तुम लोग अगर बेसी सुधरे हुए निकल गए कहीं गलती से तो तुम सबको इसी के पास भेज देंगे, चोट्टागिरी का ट्यूशन लगाने. "
3 " और इतना सब करते हुए भी जानना कि इश्क पर तुम्हारे आत्मदाह का कोई असर न होगा. वो चिरकाल तक इतना ही क्रूर रहेगा कि उसकी हुकूमत में किसी को इन्किलाबी झंडा उठाने का हक नहीं है. वो जब चाहे किसी को भी देश निकाला दे सकता है और उस देश से कहीं दूर बाहर जाने के बावजूद तुम्हारे खून के हर कतरे पर उसकी हुकूमत रहेगी. वो जब चाहेगा तुम्हें खून के आंसू रुलाएगा. जिस्म के पैरहन में कुछ भी मौजूद न होगा. तुम खाली हो जाओगे. अन्दर से रीत जाओगे.तब उस एक आत्मदाह से लोगों को आत्मबल मिलेगा और वो काला झंडा लिए निकल पड़ेंगे...जलना क्या...जीना क्या...मिटना क्या...इश्क क्या...इन्कलाब! इन्कलाब! इन्कलाब! "
4 " उसे मेरे खो जाने का डर था. इस इतनी बड़ी दुनिया में, जहाँ मेरे होने का कोई सबूत नहीं, उसे मेरे खो जाने का डर था. सिर्फ उसके डर से ऐसा लगा जैसे मेरा अचानक से कोई वजूद हो गया हो. मुकम्मल. "
5 " उसके हाथों में वो सिगरेट जितनी खूबसूरत लगती थी, उसके होटों पर उससे कहीं ज्यादा कातिल. उसे सिगरेट पीते हुए देख कर यकीन पक्का हो जाता था कि स्मोकिंग किल्स. "
6 " तुम किस जहन्नुम में डेरा जमाए बैठे हो मेरी जान, मेरी जिगर के टुकड़े? तुमसे बात किए बिना सुकून नहीं आता। अगली बार BSNL वाले खुदाई करेंगे तो उसमें एक कट्टा मार देना, कभी कभी जहन्नुम का रौंग नम्बर लग जाए और तुम्हें जी भर गालियाँ दे सकूँ। इतना तो कर सकते हो मेरे लिए? "
7 " इश्क़ जब मुस्कुराता है तो उसके गालों के गहरे गड्ढे में सब लोग डूब जाते हैं। "
8 " चार दिन की ज़िन्दगी है, तीन रोज़ इश्क. "