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" जलती हुई दुनिया पर बैठ कर यह याद करो
कितना खेले है हम क़ुदरत से, अब यह याद करो
हालातों पर रोने से अब क्या हासिल है
जितना किया है बेकसूरों पर, अब वोह ज़ुल्म याद करो

गुलामों की तरह क़ैद रखा उनहे तुमने
जो आज़ाद पैदा हुए
देख लो हर कोने में दुनिया के
न जाने कितने तुम्हारे लालच का शिकार हुए
तड़पते बिलखते वोह मासूम चेहरे याद करो
रोती हुई आखो के समंदर याद करो
तुम्हारी ठोकरों पर उनकी पेशानी
उनकी बेबसी पर तुम्हारे ठहाके
आज ज़रा अपनी वहशियत याद करो

हारे हुए सिकंदर हो तुम इस वबा के दौर में
जश्न सारे दफ़न है चीखो के शोरे में
कभी न सोने वाले शहर, अब शहर ऐ ख़मोशा है
अस्पताल क़ब्रिस्तान शमशान,
लाशे ही लाशे है शहर के हर छोर में

थक गया साइंस तुम्हारा
दवाये भी लाइलाज है
बाकी बस, अब एक ही इलाज है
मिटा दे जो वायरस बद्दुआओं का
वक़्त है की अब ऐसा कोई वैक्सीन ईजाद करो

जलती हुई दुनिया पर बैठ कर यह याद करो
मिटा दे जो वायरस बद्दुआओं का
वक़्त है की अब ऐसा कोई वैक्सीन ईजाद करो
-zaki "

Mohammed Zaki Ansari , "Zaki's Gift Of Love"


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Mohammed Zaki Ansari quote : जलती हुई दुनिया पर बैठ कर यह याद करो<br />कितना खेले है हम क़ुदरत से, अब यह याद करो<br />हालातों पर रोने से अब क्या हासिल है <br />जितना किया है बेकसूरों पर, अब वोह ज़ुल्म याद करो<br /><br />गुलामों की तरह क़ैद रखा उनहे तुमने <br />जो आज़ाद पैदा हुए <br />देख लो हर कोने में दुनिया के <br />न जाने कितने तुम्हारे लालच का शिकार हुए<br />तड़पते बिलखते वोह मासूम चेहरे याद करो <br />रोती हुई आखो के समंदर याद करो<br />तुम्हारी ठोकरों पर उनकी पेशानी<br />उनकी बेबसी पर तुम्हारे ठहाके<br />आज ज़रा अपनी वहशियत याद करो<br /><br />हारे हुए सिकंदर हो तुम इस वबा के दौर में<br />जश्न सारे दफ़न है चीखो के शोरे में <br />कभी न सोने वाले शहर, अब शहर ऐ ख़मोशा है <br />अस्पताल क़ब्रिस्तान शमशान,<br />लाशे ही लाशे है शहर के हर छोर में<br /> <br />थक गया साइंस तुम्हारा<br />दवाये भी लाइलाज है<br />बाकी बस, अब एक ही इलाज है <br />मिटा दे जो वायरस बद्दुआओं का <br />वक़्त है की अब ऐसा कोई वैक्सीन ईजाद करो<br /><br />जलती हुई दुनिया पर बैठ कर यह याद करो<br />मिटा दे जो वायरस बद्दुआओं का <br />वक़्त है की अब ऐसा कोई वैक्सीन ईजाद करो<br />-zaki