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" थोड़ा जादे गंदगी है, का कीजिएगा कुकुर ही नहीं यहाँ आदमी भी खंभा देख के उसी का इस्तेमाल करते हैं। कभी आपके दिमाग में आया है कि ये खंभा भी कभी तो एकदम फरेस… चूना-पालिस मारके एकदम चकाचक रहा होगा। फिर अइसा कौन आदमी होगा जो पहली बार मुँह उठा के थूका होगा? माने अभी तो गंदा है तो लग रहा है कि जगहे है थूकने का। लेकिन जब चमक रहा होगा तब जो सर्र से थूक के लाल कर दिया होगा… उसको मज़ा आया होगा क्या? चमचमाती दीवार देख थूकने वाले का थूकने के लिए जी मचल जाता होगा या उसको थूक कर बुरा लगता होगा? "

Abhishek Ojha , लेबंटी चाह | Lebanti Chah


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Abhishek Ojha quote : थोड़ा जादे गंदगी है, का कीजिएगा कुकुर ही नहीं यहाँ आदमी भी खंभा देख के उसी का इस्तेमाल करते हैं। कभी आपके दिमाग में आया है कि ये खंभा भी कभी तो एकदम फरेस… चूना-पालिस मारके एकदम चकाचक रहा होगा। फिर अइसा कौन आदमी होगा जो पहली बार मुँह उठा के थूका होगा? माने अभी तो गंदा है तो लग रहा है कि जगहे है थूकने का। लेकिन जब चमक रहा होगा तब जो सर्र से थूक के लाल कर दिया होगा… उसको मज़ा आया होगा क्या? चमचमाती दीवार देख थूकने वाले का थूकने के लिए जी मचल जाता होगा या उसको थूक कर बुरा लगता होगा?