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" स्मृति में लोग वैसे ही रह जाएं जैसे मिले थे तो कितना अच्छा होता। दुबारा मिलने पर अक्सर झटका क्यों लग जाता है? जैसे जैसे हम किसी को जानने लगते हैं उनकी परतें खुलने लगती हैं। "

Abhishek Ojha , लेबंटी चाह | Lebanti Chah


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Abhishek Ojha quote : स्मृति में लोग वैसे ही रह जाएं जैसे मिले थे तो कितना अच्छा होता। दुबारा मिलने पर अक्सर झटका क्यों लग जाता है? जैसे जैसे हम किसी को जानने लगते हैं उनकी परतें खुलने लगती हैं।