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" बुद्‌धि के हाथ में अधिकार भी देना चाहते हैं, सम्मान भी, नेत्तृत्व भी; लेकिन संपत्ति किसी तरह नहीं। बुद्‌धि का अधिकार और सम्मान व्यक्ति के साथ चला जाता है, लेकिन उसकी संपत्ति विष बोने के लिए, उसके बाद और भी प्रबल हो जाती है। "

Munshi Premchand , गोदान [Godaan]


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Munshi Premchand quote : बुद्‌धि के हाथ में अधिकार भी देना चाहते हैं, सम्मान भी, नेत्तृत्व भी; लेकिन संपत्ति किसी तरह नहीं। बुद्‌धि का अधिकार और सम्मान व्यक्ति के साथ चला जाता है, लेकिन उसकी संपत्ति विष बोने के लिए, उसके बाद और भी प्रबल हो जाती है।