Home > Author > Munshi Premchand >

" बहते हुए आँसू बतला रहे थे कि मोह का बंधन तोड़ना कितना कठिन हो रहा है। जो कुछ अपने से नहीं बन पड़ा, उसी के दु:ख का नाम तो मोह है। "

Munshi Premchand , गोदान [Godaan]


Image for Quotes

Munshi Premchand quote : बहते हुए आँसू बतला रहे थे कि मोह का बंधन तोड़ना कितना कठिन हो रहा है। जो कुछ अपने से नहीं बन पड़ा, उसी के दु:ख का नाम तो मोह है।