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" एक अनु-पुष्य की भाँति धूप में खिली हुई, दूसरी ग़मले के फूल की भाँति धूप में मुरझाकी और निर्जीव। मालती "

Munshi Premchand , गोदान [Godaan]


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Munshi Premchand quote : एक अनु-पुष्य की भाँति धूप में खिली हुई, दूसरी ग़मले के फूल की भाँति धूप में मुरझाकी और निर्जीव। मालती