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" तुम्हें गैरों से कब फुर्सत,
हम अपने गम से कब खाली?
चलो, बस हो चुका मिलना
न तुम खाली न हम खाली । "

Munshi Premchand , प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां


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Munshi Premchand quote : तुम्हें गैरों से कब फुर्सत,<br />हम अपने गम से कब खाली?<br />चलो, बस हो चुका मिलना<br />न तुम खाली न हम खाली ।