Home > Author > गुलज़ार >

" बहता दरिया, पल के पल बस रुक जाता है— इतनी सी उम्मीद लिये— शायद फिर से देख सके वह, इक दिन उस लड़की का चेहरा, जिसने फूल और तुलसी उसको पूज के अपना वर माँगा था— "

गुलज़ार , रात पश्मीने की


Image for Quotes

गुलज़ार quote : बहता दरिया, पल के पल बस रुक जाता है— इतनी सी उम्मीद लिये— शायद फिर से देख सके वह, इक दिन उस लड़की का चेहरा, जिसने फूल और तुलसी उसको पूज के अपना वर माँगा था—