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" उच्च वर्ण के पुरुषों का हीन वर्ण की स्त्रियों से विवाह अनुलोम विवाह कहलाता है। और हीन वर्ण के पुरुषों का उच्च वर्ण की स्त्रियों से विवाह प्रतिलोम विवाह। प्रतिलोम विवाह तो, आरम्भ से ही, गर्हित समझा जाता था, अनुलोम विवाह की पहले निन्दा नहीं थी। किन्तु, आगे चलकर अनुलोम और प्रतिलोम, दोनों ही प्रकार के विवाहों से उत्पन्न सन्ततियाँ वर्ण–संकर मानी जाने लगीं और वे, सब–की–सब, शूद्र–जाति में प्रविष्ट हो गईं। "

Ramdhari Singh 'Dinkar' , संस्‍कृति के चार अध्‍याय


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Ramdhari Singh 'Dinkar' quote : उच्च वर्ण के पुरुषों का हीन वर्ण की स्त्रियों से विवाह अनुलोम विवाह कहलाता है। और हीन वर्ण के पुरुषों का उच्च वर्ण की स्त्रियों से विवाह प्रतिलोम विवाह। प्रतिलोम विवाह तो, आरम्भ से ही, गर्हित समझा जाता था, अनुलोम विवाह की पहले निन्दा नहीं थी। किन्तु, आगे चलकर अनुलोम और प्रतिलोम, दोनों ही प्रकार के विवाहों से उत्पन्न सन्ततियाँ वर्ण–संकर मानी जाने लगीं और वे, सब–की–सब, शूद्र–जाति में प्रविष्ट हो गईं।