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" अपने में सब कुछ भर कैसे व्यक्ति विकास करेगा, यह एकांत स्वार्थ भीषण है अपना नाश करेगा। औरों को हँसता देखो मनु-हँसो और सुख पाओ, अपने सुख को विस्तृत कर लो सब को सुखी बनाओ "

जयशंकर प्रसाद , कामायनी


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जयशंकर प्रसाद quote : अपने में सब कुछ भर कैसे व्यक्ति विकास करेगा, यह एकांत स्वार्थ भीषण है अपना नाश करेगा। औरों को हँसता देखो मनु-हँसो और सुख पाओ, अपने सुख को विस्तृत कर लो सब को सुखी बनाओ