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" कितने लोग हैं जो ‘चरित्रहीन’ होने की साध मन में पाले रहते हैं, मगर हो नहीं सकते और निरे ‘चरित्रवान’ होकर मर जाते हैं। "

Harishankar Parsai , ठिठुरता हुआ गणतंत्र


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Harishankar Parsai quote : कितने लोग हैं जो ‘चरित्रहीन’ होने की साध मन में पाले रहते हैं, मगर हो नहीं सकते और निरे ‘चरित्रवान’ होकर मर जाते हैं।