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" पुरुष इसी तरह बेवफा होते हैं! छली! कठोर! पाषाण-हृदयी! जाल समेत उड़ निकलने वाले पंछियों के समान वे भागकर दूर-दूर चले जाते हैं और स्त्रियाँ आँखों से दूर होते जा रहे उन्हीं प्रीति-पाशों में अपने अंतः-करणों को उलझाकर रोती बैठती रहती है। फूल "

Vishnu Sakharam Khandekar , Yayati: A Classic Tale of Lust


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Vishnu Sakharam Khandekar quote : पुरुष इसी तरह बेवफा होते हैं! छली! कठोर! पाषाण-हृदयी! जाल समेत उड़ निकलने वाले पंछियों के समान वे भागकर दूर-दूर चले जाते हैं और स्त्रियाँ आँखों से दूर होते जा रहे उन्हीं प्रीति-पाशों में अपने अंतः-करणों को उलझाकर रोती बैठती रहती है। फूल